Re: राजनीति केवल खलनायक नहीं
इतने साहस के साथ में उस समय बोलना और आजादी के बाद का तो पता ही नहीं। वह नेहरू भी कैसे संस्कृति से इतिहास प्रभावित होता है, मैं एक दृष्टि के लिए उनको कोट करना चाहता हूं, जो उनकी हिन्दी में अनुदित पुस्तक है भारत आज और कल, उससे लिया है-मैं अक्सर यह सोचकर हैरान रह जाता हूं कि हमारी जाति कहीं गुप्त महाभारत, रामायण, गीता और उपनिषदों को भूल जाए तो इसका क्या हश्र होगा? हमारी जड़ें उखड़ जाएंगी। हम अपनी उन सारी बुनियादी खूबियों को खो देंगे, जो युगों से हमारे साथ चली आ रही हैं और जिनके कारण हमारी दुनिया में हेसियत बनी हुई है। तब भारत, भारत न रह सकेगा। मैं उन परंपरावादियों से कहना चाहता हूं जो आज की तारीख में 17वीं और 18वीं शताब्दी का समाज बनाना चाहते हैं। बताओ नेहरू से अधिक परंपरा का समर्थक कौन है और नेहरू से अधिक आधुनिक कौन है?
इसका कोई जवाब दे दे। अगर यह सही है तो वे सारे सिद्धान्त भी सही हैं, जो इस देश और समाज के लिए गांधी और नेहरू ने दिए थे। और इस भूमिका के साथ अगर मैं कहूं तो संस्कृति के प्रति मेरी एक दृष्टि दूसरी बनती है। मैं मानता हूं कि संस्कृति भी एक मूल्य है। संस्कृति कोई गाथा नहीं है, न महापुरुष की गाथा है, न राजनीतिक इतिहास की गाथा है, न किसी की यशोगाथा है, और यह परंपरा हमारे यहां है। तुलसीदास जैसा व्यक्ति कहता है ‘येने प्राकृत जन गुन गाना, सिर धरि गिरा लगत पछताना।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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