Re: राजनीति केवल खलनायक नहीं
बहरहाल मैंने जो राजनीति की बात कही, वह राजनीति की बात में सिर्फ गांधी को फोकस करना चाहता हूं और आज का नहीं, गांधी 1915 में भारत आए थे राजनीति में प्रवेश के लिए, 1920 में उन्होंने लिखा जो उनको रियलाइजेशन हुआ। 12 मई 1920 को यंग इंडिया में लिखा था। वे दो अखबारों का नियमित सम्पादन करते थे यंग इंडिया और एलीजंट। उसमें वह पाठकों के पत्रों का जवाब भी देते थे। मेरे भीतर बैठे राजनीतिज्ञ ने मेरे एक भी निर्णय को मुख्य रूप से प्रभावित नहीं किया है और यदि मैं राजनीति में भाग लेता दिखाई देता हूं तो वह केवल इस कारण कि आज राजनीति में सर्प की कुंडली की भांति हमें जकड़ लिया है। वह राजनीति ही थी जो मुट्ठीभर अंग्रेजों का इतना विस्तार किया कि एक तिहाई दुनिया उनकी गुलाम हो गई। तो वह केवल इस कारण कि आज राजनीति ने सर्प की कुंडली की भांति हमें जकड़ लिया है और व्यक्ति कितनी भी कोशिश करे, इससे मुक्त नहीं हो सकता है। इसलिए मैं इस सर्प के साथ संघर्ष करना चाहता हूं। जैसा कि मैं कमोबेश सफलता के साथ जान-बूझकर 1894 से और अनजाने जैसा कि मैंने अब समझा है, होश संभालने की उम्र से करता आ रहा हूं। राजनीति में वह आए जो इस स्वप्न के साथ संघर्ष करना चाहता हो वरना राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है। मेरी बिल्कुल स्पष्ट सीधी-सी राय यह है। उसके बाद देखिए, राजनीति कैसे बिगड़ सकती है?
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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