Re: जीवन्मुक्तलक्षण वर्णन
विष्णुजी सदा विक्षेप में रहते हैं, आप भी कर्मकरते हैं और लोगों से भी कराते हैं और लोगों से भी कराते हैं और शरीर धारते हैं और त्याग भी देते हैं इत्यादिक क्षोभ में रहते हैं सो त्यागने को समर्थ भी हैं परन्तु त्यागने में उनका कुछ कार्य सिद्ध नहीं होता और करने में कुछ हानि नहीं होती | उनको लोग कई गुणों से गुणवान् जानते और मुझको तो शुद्ध चिदाकाश रूप भासता है | मूर्ख कहते हैं कि विष्णु श्याम सुन्दर हैं परन्तु वे शुद्ध चिदाकाशरूप हैं और सदा शुद्धस्वरूप में उनको अहंप्रत्यय है | आकाशमार्ग में जो सूर्य स्थित है वे कभी ऊर्ध्व की ओर और कभी नीचे जाते हैं तो क्या उनको स्थित होने की सामर्थ्य नहीं है? है परन्तु चलना और ठहरना दोनों उनको सम है और खेद से रहित होकर प्रवाहपतित कार्य में रहते हैं इससे जीवन्मुक्त हैं |
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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