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Old 25-11-2010, 06:49 PM   #29
ndhebar
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Default Re: बिहारी सदस्यों और असदस्य भाइयों को बधाई

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Originally Posted by khalid1741 View Post
लडकिया होती हैँ स्कुल मेँ एक हजार छः सौ को हीँ साइकिल क्योँ
साईकिल के लिए दो हजार मेँ दो सौ रुपया टीचर रखते हैँ क्योँ
तीन लीटर मिट्टी तेल बाँटने के लिए देता हैँ
जनता को ढाई लीटर क्योँ
पैतीस किलो अनाज के बदले तीस कहीँ बत्तीस किलो क्यो
क्या नितीस कुमार को पता नहीँ हैँ
अगर अच्छे हैँ बडे को छोर कर छोटे छोटे कामोँ को ठीक करे
खालिद भाई आपके सवाल का जवाब गुल्लू जी ने दे दिया है

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Originally Posted by gulluu View Post
दोस्तों मेरी नजर में पहले लालू राज में 20% जनता को मिलता था, 80% सरकार और सरकारी तंत्र खुद खा जाता था, अब ये अनुपात बदल कर 60 से 70% जनता को मिल रहा है और ३० से ४० प्रतिशत सरकारी तंत्र द्वारा खाया जा रहा है , इस हिसाब से जनता को तो पहले से ज्यादा ही मिल रहा है .उम्मीद पर दुनिया कायम है , हमको उम्मीद तंत्र के सुधारने की करनी चाहिए ना की बिगडने की .आशा करें की अगर नितीश जी की नियत सही रही तो जनता को पहले से ज्यादा मिलेगा .
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Originally Posted by abhay View Post
आज की जनता तो बिलकुल ही भ्रष्ट हो गई है भ्रष्ट सरकार के हात में परकर भाई बात वही है लालू की सासन का अब नितिस जी लोगो से कान को सीधा न छुआ के उल्टा छुआ रहे है मगर बात तो वही होगा देख लेना बिहार में अब भ्रस्टाचार दूर नहीं है मेरा बात अभी मजाक लगेगा लेकिन जब हकीकत से पाला पड़ेगा तो पता चलेगा की नितिस और लालू में क्या फर्क है मेरा मानना है की दोनों बिहार के बिनास का कारण है , सरकार बिहार में रस्टपति का ही होना बेहतर है जो और देसो में लागु है !
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Originally Posted by abhay View Post
भाई आपके बात से मैं सहमत हू आपने बिलकुल सही कहा नितिस की राज में सब अमिर के पास बी पे एल है गरीबो के पास जिनके रहने का कोई भी ठिकाना नहीं है उनका नाम ए पि एल में है और जिनका गलती से बी पे एल में नाम है उनसे ५०० , १००० , २००० इसी तरह से रुपया लिया गया उन्ही गरीबो का बी पे एल में नाम है ! लड़कियों को सैकल दी गई मेरे छेत्र में उसकी रकम थी १५०० अब आपही बोले इतने में क्या होगा ५०० या उससे अधिक टीचर के जेब में इसके लिए सरकार जिमेदार है वक्त पे पगार न मिलना तो क्या करे पेट का सवाल है चुराना तो परेगा हि !
अभय बाबु आपकी बातें हकीकत से कोसो दूर है यथार्थ से इनका कोई नाता नहीं/
आपसे ये किसने कह दिया की बी पी एल में गरीबों का नाम नहीं अमीरों का नाम है, मेरे यहाँ तो ऐसी कोई बात नहीं/
सिस्टम कभी भी परफेक्ट नहीं होता ना ही उसे चलाने वाले व्यक्ति, कुछ गलतियाँ स्वाभाविक है और वो क्षम्य भी होनी चाहिए वनिस्पत उसके जो जान बुझ कर गलतियों पर गलतियाँ करता जाये और फिर भी सीना तान कर दिखाए/
मुझे तो आपकी बातें बचकानी सी लगती है/
भ्रष्टाचार आज हमारे समाज का हिस्सा बन चूका है और सामान्यतः सभी को तब तक स्वीकार भी है जब तक अपना फायदा होता जाय/
लोग बाग़ तभी आवाज उठाते है जब उनका नुकसान होता है या ऐसे किसी का फायदा होता है जिसे वो नहीं चाहते/
समाज व्यक्तियों से निर्मित संस्था है और जब व्यति व्यक्ति ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो समाज क्या इससे अछूता रहेगा/
ये बातें सिर्फ बिहार के सन्दर्भ में ही नहीं कह रहा हूँ, ये लगभग सभी जगहों की कहानी बनती जा रही है/
फिर बिहार को इससे अलग कर के आंकना, मुझे अतिश्योक्ति लगता है/
नितीश जी के पाँच वर्ष बिहार के लिए एक बदलाव का संकेत भर था असली कार्य तो अब होगा/
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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