Re: छुआ आसमान : डॉ. अब्दुल कलाम
जब नाव बनकर तैयार हुई, तो पिताजी ने बड़ी खुशी-खुशी व्यापार शुरू किया। कुछ समय बाद रामेश्वरम तट पर एक भयंकर चक्रवात आया। तूफानी हवाओं में हमारी नाव टूट गई। पिताजी ने अपना नुकसान चुपचाप बर्दाश्त कर लिया, हकीकत में वे तूफान के कारण घटित एक बड़ी त्रासदी को लेकर ज्यादा परेशान थे। क्योंकि चक्रवाती तूफान में पामबान पुल उस वक्त ढह गया था, जब यात्रियों से भरी एक रेलगाड़ी उसके ऊपर से गुजर रही थी। मैंने अपने पिताजी के नजरिए और असली तबाही, दोनों से काफी कुछ सीखा। तब तक मैंने समुद्र की सिर्फ सुंदरता ही देखी थी। अब इसकी ताकत और अनियंत्रित ऊर्जा भी प्रकट हो गई।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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