Re: छुआ आसमान : डॉ. अब्दुल कलाम
मुझे लगता था कि जलालुद्दीन खुदा से सीधे संवाद करने में समर्थ थे, तकरीबन इस तरह, जैसे वे दोनों साथ-साथ काम करने वाले जोड़ीदार हों। वे खुदा से अपनी तमाम शंकाओं के बारे में ऐसे बात करते थे, जैसे कि वे ठीक उनके बाजू में खड़े हों और सुन रहे हों। मैंने संवाद का यह तरीका अद्भुत पाया। मैं समुद्र में डुबकी लगाकर अपनी प्राचीन प्रार्थनाएं उच्चारित करते और पारंपरिक संस्कार पूरे करते तीर्थ-यात्रियों को भी गौर से देखा करता था। एक अज्ञात और अदृश्य शक्ति के प्रति सम्मान का भाव, उनमें और जलालुद्दीन में साफ दिखाई देता था।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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