02-12-2012, 10:04 PM
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Re: कुतुबनुमा
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Originally Posted by Dark Saint Alaick
आंकड़ों का खेल
विश्व इस्पात संघ द्वारा जारी वैश्विक आंकड़ों के अनुसार भारत 2010, 2011 और 2012 में सितंबर तक दुनिया का चौथा बड़ा इस्पात निर्माता देश है। जनवरी से सितंबर, 2012 के बीच चीन सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश रहा है। इस मामले में उसके बाद जापान और अमेरिका का स्थान है .......
मॉस्को निवासी मेरे एक मित्र हर बार नए साल के आसपास स्वदेश आते हैं। पति-पत्नी दोनों वहीं कार्यरत हैं। उनका पैतृक मकान मेरे अपार्टमेन्ट से कुछ ब्लॉक ही दूर है, लेकिन संबंधों की नजदीकियों की वज़ह यह नहीं है, बल्कि यह है कि कभी जयपुर में मार्क्सवादी साहित्य का केंद्र रहे 'किताबघर' (यह अब बंद हो चुका है) में हमारी लम्बी बैठकें होती थीं और अक्सर मैं बहस में उन्हें हरा देता था। किन्तु अब स्थिति उलट है, इसलिए कि अब जब भी वे आते हैं, तो मेरे लिए दो बोतलें लाते हैं - एक तो स्कॉच और दूसरी रूस की शुद्ध वोदका। ज़ाहिर है, अब मैं कभी-कभी उनसे जान-बूझ कर हार जाता हूं। खैर, यह तो मैं भटक गया। मुद्दे पर आते हैं ... और आप चौथे स्थान पर खिसकने का जश्न मना रहे हैं। केंद्र सरकार यह अपनी उपलब्धि गिना रही है या नाकामी को छुपा रही है? आपको कैसा लगा आंकड़ों का यह खेल? क्या ख्याल है आपका ?
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सेंट अलैक जी, इतने गंभीर मुद्दे को आपने इतनी सरलता से हमें समझा दिया, इस के लिये आपका धन्यवाद. इस्पात मंत्रालय के आंकड़ों पर आपका विवेचन सारगर्भित है. लेकिन इसके इतर भी आपने अपने मित्र के माध्यम से एक कमाल का प्रसंग इतनी सहजता से बताया कि मज़ा आ गया. ऐसे हलके फुल्के प्रसंग आपके लेखन को और भी अधिक पठनीय बना देते है.
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