04-12-2012, 09:42 PM
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Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!
Quote:
Originally Posted by sikandar_khan
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
दुष्यंत कुमार
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दिसंबर ३० को हिंदी ग़ज़ल के सबसे बड़े हस्ताक्षर दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि पड़ती है, अतः उनको याद करना स्वाभाविक ही था. श्रद्धांजलिस्वरूप प्रस्तुत की गयी ये रचनाएं अपने रचनाकार की तरह ही अमर हैं. इनके लिये धन्यवाद. उनकी एक बड़ी खूबी थी कि वह बिना कसी स्वार्थ के अपने परिचितों की मदद के लिये तैयार रहते थे बिना किसी उंच-नीच या जातिभेद के. ‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं. मेरी कोशिस है कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए.’
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