श्लोक (6)-
तस्यैकदेशिकंमनुःस्वायम्भुवोधर्माधिकारिकंपृथक्चकार।।
अर्थ- बह्माकेद्वारारचेगए 1 लाखअध्यायोंकेउसग्रंथकेधर्मविषयकभावकोस्वयम्भूकेपुत्रमनुनेअलगकिया।
श्लोक (7)-
बृहस्पतिर्थाधिकारिकम्।।
अर्थ- अर्थशास्त्र से संबंधित विभाग को बृहस्पति ने अलग करके अपने अर्थशास्त्र का निर्माण किया।
श्लोक (8)-
महादेवानुचरश्च नन्दी सहस्त्रेणाध्यायानां पृथक् कामसूत्रं प्रोवाच।
अर्थ- इसके बाद उस शास्त्र में से 1000 अध्याय वाले कामसूत्र को महादेव के अनुचर नन्दी ने अलग कर दिया।
श्लोक (9)-
तदेव तु पञ्ञभिरध्यायशतैरौद्दालकिः श्वेतकेतुः सञ्ञिक्षेप।।
अर्थ- उद्यालक के पुत्र श्वेतकेतु ने नन्दी के उस कामसूत्र को 500 अध्यायों में करके पूरा कर डाला।