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Old 08-12-2012, 03:38 PM   #21
arvind
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Default Re: सफलता की सीढ़ी।

नये के फ़ेर में पुराने को उपेक्षित न करें

बात चाहे नये नियुक्त होनेवाले मैनपावर की हो या फ़िर नये सॉफ्टवेयर या सिस्टम की. अक्सर लोग नये के आने के बाद पुराने को उपेक्षित करना शुरू कर देते हैं. ऐसा करना सही नहीं है. सभी की अपनी उपयोगिता है.

एक बेहतर प्रबंधक वही है, जो पुराने सिस्टम या मैनपावर की अच्छी चीजों के साथ नये के आइडियाज या फ़ीचर को मैच कराये और कार्यस्थल पर संतुलन बना कर चले. किसी भी व्यक्ति या आइडिया या सिस्टम को निरस्त करना दुनिया का सबसे आसान काम है, लेकिन एक अच्छे प्रबंधक को तब तक किसी भी व्यक्ति या सिस्टम को निरस्त करने का नैतिक हक नहीं है, जब तक कि वाकई वह बेहतर सिस्टम या व्यक्ति का उदाहरण न पेश कर सके.एक राजा को नये-नये वाद्य संगीत सुनने का शौक था.

राजा ने संगीतज्ञों के लिए एक प्रतियोगिता की घोषणा करते हुए कहा, कि जिस संगीतज्ञ का वाद्य नवीन प्रकार का होगा और संगीत भी सर्वश्रेष्ठ होगा, उसे भारी राशि देकर पुरस्कृत किया जायेगा, अन्यथा वह कलाकार दंड का भागी होगा. एक से बढ़ कर एक बहुत से कलाकार अपना-अपना वाद्य लेकर राजदरबार में भाग्य आजमाने आये. सभी संगीतज्ञों ने अपने-अपने वाद्य से संगीत सुनाया. राजा को इन सब के संगीत में कुछ भी नया नहीं लगा. उसने सभी कलाकारों को दंड स्वरूप कारागार में डाल दिया.एक बुद्धिमान व्यक्ति को कलाकारों का यह अपमान बहुत बुरा लगा. उसने सभी कलाकारों को न्याय दिलाने की योजना बनायी.

एक दिन वह व्यक्ति लकड़ी का एक लट्ठा लेकर राजसभा में पहुंचा और राजा के समक्ष अपना वाद्य बजाने की आज्ञा मांगी. राजा ने कहा,‘‘यह तो साधारण-सा लकड़ी का लट्ठा है, कोई वाद्य नहीं.’’ व्यक्ति ने कहा, ‘‘महाराज, यह एक नये प्रकार का अद्भुत वाद्य है. यह अकेला नहीं बजाया जा सकता, लेकिन यह सभी वाद्यों के साथ शामिल होकर बहुत मधुर धुनें देता है.’’ राजा ने नये वाद्य सुनने के शौक के कारण सभी कलाकारों को जेल से रिहा कर राज दरबार में आने के आदेश दिये.संगीत की महफ़िल सजी. वह व्यक्ति भी लकड़ी का लट्ठा लेकर सबके बीच में बैठ गया. जब सब कलाकार अपना वाद्य बजा रहे थे, तब वह भी एक छड़ी से लट्ठे पर ठक-ठक कर तान देने लगा.

राजा को संगीत अच्छा लगा. राजा ने उस व्यक्ति से कहा, ‘‘तुम इस पुरस्कार के सच्चे पात्र हो.’’ व्यक्ति ने कहा, ‘‘महाराज, क्षमा करें. न मैं संगीतज्ञ हूं और न यह लट्ठा कोई वाद्य. आपके पुरस्कार पर मेरा नहीं, इन सभी कलाकारों का अघिकार है. इन सभी ने अपने वाद्य बहुत कुशलता से बजाये. मैं आपको केवल यह बताना चाहता था कि नये के फ़ेर में पुराने को उपेक्षित न करें. ये सभी कलाकार अपनी कला में पारंगत हैं और पुरस्कार के सच्चे अधिकारी हैं.’’ राजा ने अपनी भूल सुधारते हुए कलाकारों को पुरस्कृत किया.

बात पते की
किसी भी नये व्यक्ति के आने पर पुराने को उपेक्षित न करें.
कार्यस्थल पर हर स्तर पर संतुलन और सामंजस्य बेहद जरूरी है.
किसी भी व्यक्ति या सिस्टम को रिजेक्ट करना सबसे आसान काम है, लेकिन ऐसा तभी करें, जब आपके पास इससे बेहतर विकल्प मौजूद हो.
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