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Old 10-12-2012, 10:47 PM   #22
rajnish manga
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Default Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस

[QUOTE=Dark Saint Alaick;114877]... आज की बहस का विषय है-

गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे का पाकिस्तान पर बयान और उसके प्रभाव !

भृष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली-आंदोलन में अन्ना जी का रवैय्या आरम्भ में गांधीवादी लगा था लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि वह एक खुदमुख्तार तानाशाह की भाषा बोल रहे हैं. वे चाहते थे कि सभी सांसद संवैधानिक प्रक्रियाओं के परे जा कर परासंसदीय हो कर उनकी मन पसंद व्यवस्थाओं वाला बिल पास करवाएं. बहुत अच्छी नीयत के बावजूद जनता यह समझती थी कि संसद की गरिमा और मर्यादा को सर्वोपरि रखते हुये ही कोई नया क़ानून बनाया जा सकता है. उस समय भी अन्ना जी से कुछ लोगों का मोह भंग हुआ. उसके बाद भी अन्नाजी के कई विवादास्पद बयान मीडिया में आये जिसके बाद उनकी अपनी छवि भी कमज़ोर हुई. गाँधी बनना तलवार की धार पर चलने के समान है. गांधीवाद बड़ा रूमानी लगता है लेकिन उसे निभाने की प्रक्रिया स्वयं को जीतने से शुरू होती है इसके मूल में है हिंसा का पूरा त्याग – केवल बाहरी हिंसा ही नहीं बल्कि किसी के बारे में बुरा विचार करना भी वहाँ त्याज्य है. हाँ, आप स्वयं में सत्य से उपजा आत्मिक बल पैदा कीजिये, अपने विरोधी से बात कीजिये और उसका ह्रदय परिवर्तन कर उसे अपने पक्ष में कीजिये. तनावग्रस्त विश्व में गांधीजी के सिद्धांत आज कहीं अधिक ज़रूरी हो गए हैं. गाँधी जी कहते थे की यदि हर कोई हिंसा का जवाब हिसा से देगा तो कोई बचेगा ही नहीं. आँख के बदले आँख निकाले जाने का सिद्धांत चलाया जाएगा तो सब अंधे हो जायेंगे. और वे यह कहते थे कि ‘पाप से घृणा करो पापी से नहीं’.
अन्नाजी ने अपने असंतुलित बयानों के कारण ही अपनी गुडविल को नुक्सान पहुंचाया है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी विभिन्न देशों के बीच परस्पर बातचीत के बाद स.रा.स. की स्थापना हुई. आज दुनिया शीत युद्ध से निकल आयी है. लेकिन वैश्विक स्तर पर देखें तो कहाँ तनाव अभी बरकरार हैं. छोटे बड़े सभी देशों के बीच कितने मुद्दे ऐसे हैं जिन पर आम सहमति नहीं है. फिर भी बातचीत होती है और कई बार होती है इस आशा में कि सर्वसम्मति से कोई हल निकल जाये. में आपसे पूछता हूँ कि ६ दिसंबर १९९२ को जो अयोध्या में जो हुआ क्या उससे कोई समस्या हल हुई? देशभक्ति का जज़्बा होना बहुत श्रेष्ठ गुण है परन्तु सह-अस्तित्व का विचार भी अंगीकार होना चाहिए. महज लफ्फ़ाजी से माहौल बिगड़ता है संवरता नहीं.

Last edited by rajnish manga; 10-12-2012 at 10:50 PM.
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