Quote:
Originally Posted by Dr. Rakesh Srivastava
आप सही कह रहे हैं मित्र rajnish manga जी और ये भी सही है कि लम्बे समय के बाद पाठक के मस्तिष्क से ऐसी ही कुछ बातें भूल जाना स्वाभाविक है . ऐसी भूल मेरी तरह दूसरे न करें , इसके लिए आपको ही कोई तरकीब निकालनी होगी . मेरी उत्सुकता स्वाभाविक थी . आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे . आप बहुत अच्छा लिखते हैं और आपकी रचनाओं में आपका अनुभव बोलता है .
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आपने बिलकुल सही फरमाया कविवर। मैं खुद ऎसी गलतियां कई बार कर चुका हूं। सूत्र की शुरुआत अच्छी लगी, तो प्रशंसा कर दी और कुछ पेज बाद कुछ पसंद नहीं आया, तो सूत्र को बुरा-भला कह दिया। अब भाई लोग हैरान कि अलैक साहब की कौन सी टिप्पणी सही है। हो जाता है कभी-कभी।
![scratchchin](images/smilies/scratchchin.gif)
प्रिय रजनीशजी को एक सलाह -
उन्हें अपने हस्ताक्षर में कुछ विवरण लगा लेना चाहिए।