View Single Post
Old 13-12-2012, 12:25 AM   #9
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी

मस्जिद तो बना दी शब् भर में, ईमां की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है, बरसों में नमाजी बन न सका
तर आँखें तो हो जाती हैं, पर क्या लज्ज़त इस रोने में
जब खूने जिगर की आमेजिश से, अश्क पियाजी बन न सका
'इकबाल' बड़ा उपदेशक है, मन बातों में मोह लेता है
गुफ्तार का यह गाजी तो बना, किरदार का गाजी बन न सका

शब् = रात
ईमां की हरारत = जिसके मन में धर्म का उग्र प्रेम था
लज्जत = आनंद
खूने जिगर = हृदय का खून
आमेजिश = मिश्रण
अश्क = आंसू
पियाजी = गुलाबी
गुफ्तार = बात
गाजी = धर्मयोद्धा
किरदार = चरित्र
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote