अति उत्तम कविवर। एक बहुत ही कठिन बहर को आपने बहुत ही कुशलता से साधा है। मेरे ख़याल से आपने फोरम पर पहली बार ऎसी रचना पेश की है और इसके लिए मैं आपको कोटिशः साधुवाद देता हूं। तमाम मरहूम ग़ज़लगो शोअरा अगर जन्नत से इस ग़ज़ल का रसास्वादन कर रहे होंगे, तो आपके इस सूत्र पर निश्चय ही पुष्प वर्षा हो रही होगी। इस श्रेष्ठ सृजन का साक्षी करने के लिए आभार आपका। शुक्रिया।