Re: टूट गए सितार के तार
सितार के निर्जीव तारों से देश-दुनिया के करोड़ों संगीतप्रेमियों के दिलों में सुरीली तान छेड़ने वाले पं. रविशंकर अब मौन हैं और खामोश है वह सितार, जो लगभग 73 वर्षों से संगीत की दुनिया में रवि शंकर का पर्याय बन चुकी थी। संगीत के लिए चर्चित देश-विदेश का शायद ही ऐसा कोई कार्यक्रम स्थल रहा हो, जहां पं. रवि शंकर ने अपने हुनर से संगीत रसिकों को मोहपाश में न बांधा हो! कहा जाता है कि जब वह सितार वादन करते थे, तब चारों दिशाएं उनके संगीत के जादू से बच नहीं पाती थीं। अपनी अंतिम सांस तक संगीत की अथक साधना करते रहे पंडितजी संगीत का स्वर्णिम अध्याय लिखते रहे। आज भले ही पंडितजी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन कठिन मेहनत से जोड़ा गया उनका संगीत का खजाना युगों-युगों तक संगीत के चाहने वालों के दिलों में उनकी यादों को सजल आंखों से सम्मान दिलाएगा। संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए उन्हें वर्ष 1999 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई फिल्मों में भी संगीत भी दिया। विश्व संगीत के गॉडफादर कहे जाने वाले पंडितजी ने कई मौलिक राग गढ़े। उनका वादन मौलिकता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध था। भारत से कहीं ज्यादा उनकी पहचान पश्चिमी देशों में थी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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