27-11-2010, 07:24 PM
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#14
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
तेरी चाहत में अक्सर
इस कदर गुजर जाता हूँ मैं !
की मीलों दूर होने पर भी,
तेरे दिल में सिमट जाता हूँ मैं !!
जब तेरी तन्हाई पेश -ए - नज़र पाता हूँ,
तो ठंडी ठंडी चंद आहें
भर कर रह जाता हूँ मैं !
हाय ये अलफ़ाज़ जो कभी,
लबों से बयान होते नहीं
और
आंसू, जिन्हें सिर्फ आँखों से पि जाता हूँ मैं ........!!!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
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