Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ विरोध - क्या यह आ
बिलकुल ... समाज के बर्बर चेहरे के लिए देश का नेतृत्व ही जिम्मेदार है। आखिर देश को दिशा देने की जिम्मेदारी किसकी है, जब क़ानून बनाने का परचम लहरा रहे लोगों में ही ऐसे लोग बैठे हों, जिनके दामन पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के दाग मौजूद हैं, तब आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि यह नेतृत्व देश के समाज को कोई बेहतर बनाने और ऐसे अपराधों के लिए कठोर क़ानून बनाएगा।
नहीं ... राजनीतिक पार्टियां इसमें कहीं नहीं थीं, यह युवा वर्ग का स्वाभाविक गुस्सा है। क्या आपने महसूस किया कि ज़रा-ज़रा सी बात पर घंटों बकवास करने वाले अनेक नेता घरों में छुपे बैठे हैं। भाजपा और कुछ वामपंथी नेताओं के अलावा इस मुद्दे पर उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अगर पहले दिन ही सभी दलों ने प्रकरण की सामूहिक निंदा की होती और प्रदर्शनकारियों से एकजुटता दिखाई होती, तो संभवतः इतनी गंभीर स्थिति नहीं होती। कुछ दलों की महिला इकाइयां आज सक्रिय हुईं और प्रदर्शन को उग्र करने के लिए वही जिम्मेदार हैं। इनसे पूछा जाना चाहिए कि आपका यह गुस्सा अब तक कहां छुपा था। ... और सबसे बड़ी मूर्खताएं दिल्ली पुलिस ने की हैं, बाबा रामदेव के प्रकरण में तो उसके अफसर बच गए थे, लेकिन इस बार की बर्बरता पर कोर्ट कठोर रुख अख्तियार करेगा, ऐसा मेरा मानना है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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