Re: सामूहिक बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन
यह बड़ा कठिन प्रश्न है सोमवीरजी और जितेंद्रजी। समाज को सुधारना इतना आसान नहीं है। पौराणिक काल से दुष्कृत्य होते रहे हैं और संभवतः होते रहेंगे। कभी कंस, तो कभी रावण नारी पर अत्याचार करता रहा है, अपने राजनीतिक बदले के लिए दुर्योधन दु:शासन को निर्दोष द्रौपदी के चीरहरण का आदेश देता रहा है। वर्तमान की बात करें, तो जिन देशों में संगसार करने, अंग विच्छेद कर देने जैसे कठोर क़ानून हैं, वहां भी अपराध होते ही हैं, लेकिन इसका समाधान यह नहीं है कि 'हम अपनी अन्तर्ज्योति जलाएं' अर्थात हम भले, तो जग भला। समाज को नराधमों से बचाने का एकमात्र उपाय कठोर क़ानून और त्वरित कानूनी प्रक्रिया ही है, जिसके भय से ऐसे दुष्कृत्य भले ही नहीं रुकें, लेकिन कम जरूर हो जाएंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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