बिहार सरकार के लिए सिरदर्द बने रहे अनुबंधित शिक्षक, हिंसक प्रदर्शन
बिहार में जाते वर्ष में स्कूलों में नामांकन घोटाले के उजागर होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में विवादास्पद शुरुआत हुई और साल के उत्तरार्द्ध में मुख्यमंत्री की जनसभाओं के दौरान अनुबंधित शिक्षकों के हिंसक प्रदर्शन राज्य सरकार का सिरदर्द बने रहे, जबकि उच्चतर शिक्षा जगत में सूबे के लिए दो दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों का रास्ता साफ हुआ। पंचायत स्तर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के अनुबंधित शिक्षकों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए आंदोलन की राह पकड़ी। अनुबंधित शिक्षकों ने खगड़िया और बेगूसराय में हिंसक प्रदर्शन किये, जबकि बेतिया, मधेपुरा, नवादा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिला स्तरीय अधिकार सम्मेलनों में काले झंडे दिखाये गए। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए चार नवंबर को पटना में अधिकार रैली से पूर्व इन शिक्षकों ने घेरा डाल दिया, जिसे पुलिस हस्तक्षेप के बाद समाप्त कराया जा सका। खगड़िया में शिक्षकों ने हिंसा और तोड़फोड़ की। मुख्यमंत्री ने जहां अनुबंधित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों को समान वेतनमान देने में असमथर्ता जताई वहीं इसे राजनीतिक मुद्दे के रूप में हथियाते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपनी सरकार बनने पर शिक्षकों के स्थायीकरण और नियमित वेतनमान के आश्वासन का झुनझुना थमाया। शिक्षा विभाग के समीक्षा कार्यक्रम के तहत सरकारी, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में साढे तीन लाख से अधिक फर्जी नामांकन पकड़े गये। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर काफी हंगामा किया। वर्ष के मध्य में नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय अंतिम स्वरूप लेता नजर आया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को विश्वविद्यालय का पहला कुलाधिपति नियुक्त किया गया। सेन ने कहा कि 2014 से विश्वविद्यालय के दो विद्यापीठों में पढाई शुरू होगी। जाते हुए वर्ष में मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी होती रही। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि गया में बिहार का केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित होगा। बाद में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने गया और मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी दे दी। किशनगंज में अलीगढ मुस्लिम केंद्रीय विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्र की स्थापना को लेकर बिहार सरकार द्वारा जमीन आवंटन के बावजूद अध्ययन केंद्र की स्थापना में जाते हुए वर्ष में कोई प्रगति नहीं दिखी। बिहार सरकार ने विश्वविद्यालय प्रशासन को दिसंबर 2011 में 224 एकड़ जमीन किशनगंज में हस्तांतरित की थी। बिहार सरकार ने राज्य के 2012-13 के 78686 करोड़ रुपये के बजट में शिक्षा के विकास के लिए 15054.24 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर कुलाधिपति कार्यालय और राज्य सरकार के बीच जाते हुए वर्ष में टकराव कम नहीं हुआ। वर्ष 2012 में कुलाधिपति सह राज्यपाल देवानंद कुंवर द्वारा नियुक्त आठ कुलपतियों की नियुक्तियां पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी। विभिन्न जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के उल्लंघन के मामले में अदालत ने पहले दो और बाद में छह कुलपतियों की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया। अदालत ने चार प्रति कुलपतियों की नियुक्तियां भी रद्द कर दीं। वर्ष के अंत में दिसंबर में बिहार के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक पटना विश्वविद्यालय में 28 वर्ष के अंतराल के बाद छात्रसंघ चुनाव हुए। 1984 के बाद पहली बार छात्रों के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए कालेज कैंपस में वोट डाले गये। लिंग्दोह समिति की सिफारिशों के आधार पर चुनाव कराकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इतिहास रचा। इससे राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में भी छात्र संघ चुनाव का रास्ता साफ हो गया।