View Single Post
Old 29-12-2012, 03:10 AM   #23
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

राजनीति कोयले के कारण तपती रही छत्तीसगढ की राजनीति



छत्तीसगढ में कोयले के कारण इस वर्ष राजनीति की हवा तपती रही। वहीं यह साल नेताओं के विवादास्पद बयानों के कारण भी जाना जाएगा। छत्तीसगढ में पिछले नौ सालों से भारतीय जनता पार्टी का राज है और इस दौरान राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार पर कई बार हजारों करोड़ रूपए के भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाया, लेकिन सीएजी रिपोर्ट में कोल ब्लाक आबंटन को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राज्य में कांग्रेस को जैसे बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया। इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने केंद्र सरकार को घेरा तब बदले में यहां कांग्रेस ने राज्य सरकार पर कोल ब्लाक आबंटन में भारी भ्रष्टाचार करने और राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी संचेती को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। विधानसभा में पेश रिपोर्ट में भटगांव कोल ब्लाक आबंटन को लेकर सीएजी ने तीखी टिप्पणी की थी, लेकिन तब मामला ठंडा पड़ गया था। लेकिन एक बार फिर जब संसद में मामला उठा तब भटगांव का कोयला फिर गर्म हो गया। अंतत: कोल मंत्रालय ने भटगांव कोल ब्लाक का आबंटन रद्द कर दिया और अब कांग्रेस इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है। राज्य में सरकार और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा और सरकार भी चलती रही लेकिन यहां के डाक्टरों की गलतियों ने एक बार फिर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ी को लेकर पहले ही सरकार कई बार विधानसभा में घिर चुकी है। लेकिन इस बार बगैर किसी ठोस कारण के चिकित्सकों पर गर्भाशय निकालने का आरोप लगा। सरकार ने जांच करवाने का आश्वास दिया और नौ चिकित्सकों पर कार्रवाई भी हुई। अब जांच हो रही है। रही सही कसर मोतियाबिंद के आपरेशन ने पूरी कर दी। इस बार लापरवाही का शिकार हुए महासमुंद जिले के 12 मरीज। अब इन मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई है और इस मामले की भी जांच हो रही है। दोनों मामलों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा और जवाब मांगा। बहरहाल इन मामलों को लेकर राजनीति अभी भी गर्म है। राज्य में सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की और इस वर्ष अलग से कृषि बजट भी पेश किया गया। छह हजार करोड़ रूपए के इस बजट में किसानों की बेहतरी के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। अब राज्य सरकार का बजट लगभग 50 हजार करोड़ रूपए का हो गया है। राज्य में राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य के उत्तर क्षेत्र सरगुजा और दक्षिण क्षेत्र बस्तर की सीटों की वजह से यहां सरकार बनती है। और इसके लिए आदिवासी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन साल के शुरूआती महीने में विधानसभा घेराव करने जा रहे आदिवासियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और इससे नाराज आदिवासियों ने सरकार पर अत्याचार करने का आरोप लगा दिया वहीं विपक्ष ने सरकार से इस्तीफे की मांग की। मामला यही खत्म नहीं हुआ आदिवासी विरोधी होने का आरोप तो कांग्रेस पर भी लगा। राष्ट्रपति चुनाव में पी.ए. संगमा का साथ दे रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब राज्य की दोनों ही पार्टियां आदिवासियों को रिझाने का प्रयास कर रही हैं, क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा का चुनाव होना हैं।
राज्य में साल भर के भीतर चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि गुजरात की तरह यहां उनकी हैट्रिक होगी, लेकिन विपक्षी कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का ख्वाब देख रही है। राज्य सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ में केंद्र से पहले ही खाद्य सुरक्षा कानून बना दिया गया। हालंकि मुख्यमंत्री रमन सिंह अभी भी दावा कर रहे हैं कि उनके पास एक ब्रम्हास्त्र शेष है। इधर प्रदेश कांग्रेस के मुखिया नंद कुमार पटेल कहते हैं कि वर्ष 2013 कांग्रेस का होगा और इसके लिए तैयारी पूरी है। लेकिन उन्हें पार्टी के ही नाराज नेताओं को मनाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ रहा है। राज्य में आरोप प्रत्यारोप का दौर तो चलता ही रहा लेकिन इस दौरान वरिष्ठ नेताओं के बयानों ने काफी विवाद भी मचाया। जुलाई महीने में देश के 45वें विज्ञान केंद्र के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जीन और अनुवांशिक गुणों के बारे में जानकारी देते हुए कह दिया कि बेटा गलती करता है तो बाप की ठुकाई होनी चाहिए। फिर क्या था विपक्ष को मुद्दा मिल गया और कांग्रेस ने इसे मुख्यमंत्री की बौखलाहट में निकला बयान करार दिया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। इसी महीने राज्य के आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में कांग्रेस के महासचिव हरिप्रसाद ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को पहला आतंकी संगठन कह दिया।
अब बारी भाजपा की थी और भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के नेताओं को हरिप्रसाद का इलाज करवाने की सलाह दे डाली। राज्य में बयानों का सिलसिला चलता रहा और विवाद भी होते रहे। लेकिन नवंबर महीने में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं के लिए मोबाइल, बाइक और गर्लफ्रेंड को दोषी ठहरा दिया। राजधानी रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार का शुभारंभ करते हुए सिंह ने कहा कि ‘अच्छी मोटर सायकल, अच्छा मोबाइल और अच्छी गर्लफ्रेंड हो तो एक्सीडेंट होना ही है।’ बयान के बाद कांग्रेस ने इसे बड़ा मुंह और छोटी बात कहा और सरकार को राज्य में सड़क निर्माण में हो रही गड़बड़ी की तरफ ध्यान देने को कहा। छत्तीसगढ में इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कुप्पहल्ली सीतारामय्या सुदर्शन का निधन दुख दे गया। रायपुर में 18 जून 1931 को सुदर्शन का जन्म हुआ था। और 81 वर्ष की आयु में रायपुर में ही उनका 15 सितंबर को निधन हो गया। सुदर्शन नौ वर्ष तक आरएसएस के सरसंघचालक रहे। वे आरएसएस की शाखाओं में नए प्रयोगों और अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते रहेंगे।
Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote