भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए मुश्किलों से भरा रहा वर्ष 2012
वर्ष 2012 विमानन उद्योग के लिए मुश्किलों से भरा रहा और इस दौरान जहां किंगफिशर एयरलाइंस आसमान से जमीन पर आ गई, वहीं वित्तीय संकट ने एयर इंडिया और अन्य विमानन कंपनियों को परेशान कर दिया । वहीं, भारत की ढांचागत क्षेत्र की एक कंपनी के 50 करोड़ डालर के ठेके को मालदीव की सरकार द्वारा निरस्त किए जाने से साल का अंत विवादों से भरा रहा। हालांकि, विमानन क्षेत्र को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने कुछ अनुकूल नीतियों की घोषणा की जिसमें विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद की अनुमति देना शामिल है। टिकटों के उंचे दाम पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों का अपेक्षित असर नहीं दिखा और कम दाम में हवाई सैर करना दूर की कौड़ी बना रहा। इससे घरेलू हवाई यातायात में गिरावट आई और जनवरी..नवंबर के बीच यातायात 2.94 प्रतिशत घटा। ढांचागत क्षेत्र की भारतीय कंपनी जीएमआर को मिला माले हवाईअड्डा विस्तार एवं आधुनिकीकरण का ठेका मालदीव सरकार द्वारा मनमाने ढंग से रद्द किए जाने से दोनों देशों के बीच तनाव जैसी स्थिति बन गई।
भारत में एफडीआई संबंधी निर्णय के बारे में आईएटीए प्रमुख टोनी टेलर ने कहा, ‘जब तक कर की उंची दरें कायम रहेंगी, हवाईअड्डा शुल्क एवं अन्य परिचालन लागत उंचे बने रहेंगे, लोग भारतीय विमानन कंपनियों में निवेश नहीं करने वाले।’ इस साल भारत सरकार ने एयर इंडिया को उबारने के लिए 30,231 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी देने का वादा किया। यह राशि 2012 और 2021 के बीच किस्तों में दी जाएगी, बशर्ते विमानन कंपनी समयबद्ध तरीके से अपनी पुनर्गठन योजनाओं को लागू करे और सौंपे गए कार्यों को पूरा करे। इस साल विमानन क्षेत्र को कर्मचारियों की हड़ताल का सामना भी करना पड़ा जिससे एयर इंडिया का परिचालन 58 दिनों तक प्रभावित रहा, जबकि किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों की हड़ताल ने कंपनी की हालत और खराब कर दी जिससे कंपनी को तालाबंदी की घोषणा करनी पड़ी। इसके बाद विमानन क्षेत्र के नियामक डीजीसीए ने कंपनी का उड़ान परमिट निरस्त कर दिया। विजय माल्या की अगुवाई वाली किंगफिशर एयरलाइंस ने 2013 से सीमित परिचालन बहाल करने के लिए अंतरिम बहाली योजना डीजीसीए को सौंपी है।