03-01-2013, 02:38 PM
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Re: सफलता की सीढ़ी।
आत्मविश्वास एक आदत है जिसे हमें डेवलप करना होगा
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मिले, जिसे खुद पर विश्वास होते हुए भी जीवन में सुख और सफ़लता न मिली हो. हां, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जिनके पास योग्यता और कौशल तो है, बावजूद इसके आत्मविश्वास की कमी के कारण वह कैरियर की दौड़ में पिछड़ जाते हैं.
वास्तव में हम सब यह जानते और सुनते आये हैं कि आत्मविश्वास सफ़लता के लिए सबसे जरूरी है, लेकिन यह आत्मविश्वास एक दिन या किसी एक मामले में नहीं आ सकता. यह एक जरूरी आदत है, जो हमें खुद में डेवलप करनी होती है. हमारे हर क्रियाकलाप में, हमारी बातों में, हमारे व्यवहार में और हमारे स्टाइल में आत्मविश्वास झलकना चाहिए.कोलंबस एक समान्य नाविक था. भारत की खोज में निकला. जब वह भारत की खोज में रवाना होने को तैयार हुआ तो कोई नाविक साथ जाना नहीं चाहता था. अनजान की यात्रा में जहां मृत्यु का भय और सफ़लता की आशा बहुत कम थी, भला कौन साथ देता? राजा और रानी के दबाब पर मुश्किल से कुछ लोग तैयार हुए. बेड़ा रवाना हुआ. महीनों बीत गये, कही जमीं का कोई निशान नहीं.
उधर उसके साथी नाविक जो उसके पागलपन से खार खाये हुए थे, गुस्से में नाव तक खेना बंद कर दिया और कोलंबस को मार डालने तक की धमकी दे डाली, बोले- यदि तुमने चूं भी की तो हथकड़ी पहना कर कर जहाज की कोठरी में डाल देगे. बहुत समझाने-बुझाने के बाद नाविक कुछ और दिन तक जहाज खेने को तैयार हुए. उस महासागर में जहां चारों ओर भयानक लहरोंवाली अनंत जलराशि और गुस्साए हुए साथी थे.
कोलंबस का सहारा उसका सपना और उसका दृढ़ आत्मविश्वास था.कुछ दूर आगे केनराज द्वीप के पश्चिम, ध्रुव यंत्र बिगड़ गया, पर कोलंबस किसी कठिनाई के कारण अपने लक्ष्य से नहीं भटका, निरंतर वह आगे बढ़ता गया. कुछ समय बाद आगे बढ़ने पर उसे झाड़ियों की कुछ लकड़ियां तैरती दिखायी दे गयीं और आगे आकाश में कुछ पक्षी भी उड़ते दिखाई पड़े. उसका सपना सच हो गया. 12 अक्तूबर, 1492 को उसने एक नयी दुनिया की जमीं पर अपना झंडा गाड़ ही दिया और इस तरह भारत की खोज में निकले कोलंबस ने अमेरिका खोज डाला.
अगर शुरुआत में कोलंबस ने हार मान लिया होता, तो क्या वह अमेरिका की खोज कर पाता? यात्रा से निकलने के पहले और यात्रा के दौरान उनके सामने कितनी तरह की समस्याएं आयीं, लेकिन सिर्फ़ अपने आत्मविश्वास के कारण उन्हें यह सफ़लता हासिल हुई. अगर आत्मविश्वास है, तो हर सपने को साकार किया जा सकता है.
बात पते की
-आत्मविश्वास है, तो हर सपने को साकार किया जा सकता है.
-अगर आत्मविश्वास है, तो आपको सफ़ल होने से कोई नहीं रोक सकता.
-हमारे व्यवहार में, हमारी बातचीत में, हमारे स्टाइल में और हमारे हर क्रियाकलाप में आत्मविश्वास झलकना चाहिए.
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