05-01-2013, 01:59 PM
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Re: सफलता की सीढ़ी।
काम के प्रति ईमानदारी ही सफ़लता का पहला मंत्र
हममें से कितने लोग अपने काम और अपने संस्थान के प्रति ईमानदार हैं? क्या आप अपने काम को उसी क्षमता और उतने ही ध्यान से पूरा करते हैं, जितनी क्षमता और जितने ध्यान से अपने घर का काम करते हैं? कम लोग होते हैं, जो अपने काम और संस्थान के प्रति ईमानदार होते हैं और यही चंद लोग अपने कैरियर में सफ़ल होते हैं.
एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि आपका काम हमेशा प्रबंधन की निगाह में रहता है. बात सीधी है. आप ऑफ़िस में 8 घंटे का समय देते हैं. हो सकता है कि नहीं चाहते हुए भी आपको 8 घंटे का समय देना पड़ता हो. अब जब समय देना ही है, तो उस समय को ऐसे बर्बाद क्यों करना? आप अपने घर-परिवार को छोड़ टाइमपास के लिए ऑफ़िस तो आते नहीं. तो ऑफ़िस में जितनी देर भी रहें, अपने हर पल का उपयोग संस्थान और अपने काम के हित में करें. आठ घंटे का यही काम आपको आपके कैरियर में ऊंचाई पर ले जायेगा.
सफ़ल होने का पहला मंत्र यही है कि अपने काम के साथ कभी धोखा न करें. काम के प्रति हमेशा ईमानदार रहें, क्योंकि इसी काम की वजह से आपके जीवन की गाड़ी आराम से चल रही है.जिस घटना के बारे में मैं बताने जा रहा हूं, वह घटना उस समय की है, जब फ्रांस में विद्रोही काफ़ी उत्पात मचा रहे थे. सरकार अपने तरीकों से विद्रोहियों से निपटने में जुटी हुई थी. काफ़ी हद तक सेना ने विद्रोह को कुचल दिया था, फ़िर भी कुछ शहरों में स्थिति खराब थी.
इन्हीं में से एक शहर था लिथोस. लिथोस में विद्रोह पूर्णतया दबाया नहीं जा सका था, लिहाजा जनरल कास्तलेन जैसे सख्त अधिकारी को वहां नियंत्रण के लिए भेजा गया. कास्तलेन विद्रोहियों के साथ काफ़ी सख्ती से पेश आते थे. यही वजह थी कि विद्रोहियों के बीच उनका खौफ़ भी था और वे उनसे चिढ़ते भी थे. इन्हीं विद्रोहियों में एक नाई भी था, जो प्राय कहता फ़िरता-जनरल मेरे सामने आ जाये तो मैं उस्तरे से उसका सफ़ाया कर दूं. जब कास्तलेन ने यह बात सुनी तो वह अकेले ही एक दिन उसकी दुकान पर पहुंच गया और उसे अपनी हजामत बनाने के लिए कहा. वह नाई जनरल को पहचानता था. उसे अपनी दुकान पर देखकर वह बुरी तरह घबरा गया और कांपते हाथों से उस्तरा उठा कर जैसे - तैसे उसकी हजामत बनायी.
काम हो जाने के बाद जनरल कास्तलेन ने उसे पैसे दिये और कहा- मैंने तुम्हें अपना गला काटने का पूरा मौका दिया. तुम्हारे हाथ में उस्तरा था, मगर तुम उसका फ़ायदा नहीं उठा सके. इस पर नाई ने कहा - ऐसा करके मैं अपने पेशे के साथ धोखा नहीं कर सकता था. मेरा उस्तरा किसी की हजामत बनाने के लिए है, किसी की जान लेने के लिए नहीं. वैसे मैं आपसे निपट लूंगा, जब आप हथियारबंद होंगे, लेकिन अभी आप मेरे ग्राहक हैं.
-बात पते की
-जिस तन्मयता के साथ आप अपने परिवार का काम करते हैं, उसी तन्मयता के साथ ऑफ़िस का भी काम करें.
-काम के साथ धोखा, आपसे जुड़े हर किसी के साथ धोखा है.
-ऑफ़िस में समय देना ही है, तो क्यों न उस समय का बेहतर यूज करें.
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