Re: राजनीति के माध्यम से 'देश-सेवा' का ठेका
अन्ना हजारे जी एक कंफ्यूज्ड से कैरेक्टर लगे मुझे तो! ऐसा लगा जैसे अपनी कोई सोच समझ रखते ही नहीं है और कुछ भी कहकर पलट जाना या फैसले बदलना उनकी ख़ास आदत है! ठीक है आपने भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाई है पिछले कुछ सालों में (दिल्ली में रामदेव के साथ पहली बार मंच पर आये तब मुझे मालूम हुआ था की ये भी कोई हैं!, बाद में उसी रामदेव को आँख दिखाने लगे !) खैर ये मेरे निजी विचार हैं जो हाल फिलहाल की घटनाओं से मेरे मन में उपजे!
केजरीवाल को लेकर दिल में सिर्फ एक ही शंका है की बुरे लोगों या भ्रष्ट लोगों की आस्तीन में हाथ डालकर एकदम छोड़ क्यूँ देते हैं! सुब्रमण्यम स्वामी के शब्दों में कहूँ तो हिट एंड रन वाला फंडा किसी काम का तो नहीं है! बल्कि ऐसा जरूर लगता है की पुराणी बातों से ध्यान भटकाने के लिए नया कुछ खोज फिर उसे भी बीच में ही छोड़ दिया!
और उस पर नवीन जिंदल के बारे में कहीं एक भी शब्द न बोलना??? उसके खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप लगें हैं तो वहां आकर केज्ज्रिवाल जी की बहादुरी या भ्रष्ट लोगों को सजा दिलवाने की कसम को क्या हो जाता है!
(निजी विचार हैं, कृपया अपना मत दें!)
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