मेरी पसंद : गीत गजल कविता
वो फ़िराक और वो विसाल कहाँ ,
वो शब् -ओ -रोज़ -ओ -माह -ओ -साल कहाँ .
थी वो एक शक्स के तसव्वुर सी ,
अब वो रानाई -इ -ख़याल कहाँ .
इतना आसान नहीं लहू रोना ,
दिल में ताक़त , जिगर में हाल कहाँ .
फ़िक्र -इ -दुनिया में सर खपत हूँ ,
मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ .
वो शब् -ओ -रोज़ -ओ -माह -ओ -साल कहाँ .
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
Last edited by bindujain; 06-01-2013 at 08:00 PM.
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