Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
किसी रंजिश को हवा दो , की मैं जिंदा हूँ अभी ,
मुझको एहसास दिल दो , की मैं जिंदा हूँ अभी .
ज़हर पीने की तो आदत थी ज़माने वालों ,
अब कोई और दवा दो , की मैं जिंदा हूँ अभी .
मेरे रुकने से मेरी सांसें भी रुक जायेंगी ,
फासले और बढ़ा दो , की मैं जिंदा हूँ अभी .
चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है फ़क़ीर ,
भीड़ लोगों की हटा दो , की मैं जिंदा हूँ अभी
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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