वर्ष तमिलनाडु
जयललिता के लिए जल और बिजली संकट बरकरार
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के लिए साल 2012 मुश्किलों भरा रहा क्योंकि उन्हें कावेरी मुद्दे पर कर्नाटक के साथ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और चिरप्रतिद्वंद्वी द्रमुक सहित सभी पक्षों की ओर से राज्य में बिजली कटौती को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी। उधर द्रमुक को इस साल अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ा। तमाम परेशानियों के बावजूद जयललिता ने राज्य को साल 2023 तक शीर्ष पर पहुंचाने के लिए ‘विस्तृत दृष्टिकोण दस्तावेज’ पेश किया। कावेरी मुद्दे पर उन्हें काफी चुनौती का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इस संकट के बावजूद खुद की स्थिति मजबूत की। जयललिता ने कावेरी नदी से राज्य के हिस्से का जल हासिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी मजबूरी जाहिर की। हालांकि शीर्ष अदालत तमिलनाडु के बचाव में आई और उसने कर्नाटक को जल का हिस्सा देने का निर्देश दिया लेकिन कर्नाटक के किसानों और नेताओं ने खुलकर विरोध किया। जयललिता ने इस साल कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं जिनमें से ज्यादातर मुफ्त थीं। उन्होंने साथ ही सुशासन देने का वादा किया लेकिन उनके 18 महीने के शासन में बिजली कटौती मुख्य समस्या रही है। द्रमुक अध्यक्ष एम करूणानिधि ने बिजली कटौती के कारण इस शासन को ‘अंधेरे में चलता राज’ करार दिया। जलललिता ने कावेरी विवाद, तमिलनाडु के मछुआरों पर हमले और श्रीलंकाई रक्षा सैनिकों के प्रशिक्षण सहित कई मुद्दों पर समय समय पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखे। कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र के मुद्दे पर जयललिता के रूख में बदलाव की काफी आलोचना हुई। उधर विधानसभा चुनाव हारने के बाद लगातार दूसरे साल द्रमुक को अंदरूनी राजनीति से ही जूझना पड़ा। करूणानिधि के बेटों अलागिरी और स्टालिन के समर्थक मदुरै में एक बैठक में भिड़ गये जिसके बाद पार्टी प्रमुख को मामला शांत करने के लिए बैठक बुलानी पड़ी। कहा जा रहा है कि दोनों बेटे पार्टी में वर्चस्व हासिल करने की दौड़ में हैं और करूणानिधि अपने छोटे बेटे स्टालिन को समर्थन देते दिख रहे हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव जीतने वाली अन्नाद्रमुक ने स्थानीय निकाय चुनाव और उपचुनावों में भी जीत दर्ज की और पार्टी प्रमुख राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका पर नजरें गढाई हुई हैं। अपना कांग्रेस विरोध जताते हुए जयललिता ने ओडिशा के अपने समकक्ष नवीन पटनायक के साथ गठजोड़ करके राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी पीए संगमा का समर्थन किया लेकिन संगमा चुनाव नहीं जीत पाये। उन्होंने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का भी मुखर विरोध किया और कहा कि राज्य में एफडीआई को लागू नहीं किया जाएगा।