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मेरी पसंद : गीत गजल कविता
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10-01-2013, 06:40 PM
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bindujain
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
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Originally Posted by
jai_bhardwaj
वो अक्सर मुझसे कहती थी
वफ़ा है जात औरत की
मगर जो मर्द होते हैं
बहुत बेदर्द होते हैं
किसी भंवरे की सूरत में
गुलों को दे जाते हैं गम
सुनो, तुमको कसम मेरी
रवायत तोड़ देना तुम
ना तन्हा छोड़ के जाना
ना ये दिल तोड़ के जाना
मगर फिर यूं हुआ एकदिन
मुझे अनजान रास्ते पर
अकेला छोड़ कर उसने
मेरा दिल तोड़ कर उसने
मुहब्बत छोड़ दी उसने
वफ़ा है जात औरत की
रवायत तोड़ दी उसने
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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