11-01-2013, 03:50 PM
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Re: सफलता की सीढ़ी।
आत्मविश्वासी लोग जोड़ने का काम करते है
कुछ लीडर की आदत होती है कि वे अपने कर्मचारियों को जोड़ने में नहीं, तोड़ने में विश्वास करते हैं. ऐसा करनेवाले अक्सर कमजोर होते हैं, जिन्हें हमेशा यह डर रहता है कि कहीं उनकी सत्ता न चली जाये.
ऐसे लोग अलग-अलग विभाग के लोगों से अलग-अलग तरीके से बात करते हैं और हर किसी के मन में एक-दूसरे के प्रति दुर्भावना भरने का काम करते हैं, ताकि बाकी लोग आपस में लड़ते रहें और वह सभी का खास बन कर राज करते रहे.
अगर आपका सामना भी किसी ऐसे बॉस से है, तो सावधान हो जायें. अपने साथ के लोगों पर भरोसा करके चलें. किसी की बात को तुरंत न मान लें, जब तक कि आपने खुद अनुभव न किया हो.
एक बार महात्मा बुद्ध पहाड़ी इलाके से गुजर रहे थे, तभी एक हत्यारे ने उन्हें घेर लिया. उसने बुद्ध को रोका और कहा कि तुम वापस लौट जाओ तो मैं तुम्हें छोड़ दूं, अन्यथा मेरी तलवार तुम्हारी गर्दन को काट देगी.
बुद्ध ने कहा, एक दिन तो यह गर्दन गिर ही जानी है, अगर तुम्हारे काम आ जाये तो मैं तैयार हूं. लेकिन इससे पहले कि तुम मेरी गर्दन काटो, एक छोटा-सा काम करके मुझ पर कृपा करते जाओ. उस हत्यारे ने पूछा, कौन-सा काम, मरते हुए आदमी की अब कौन-सी इच्छा? और उसे कौन पूरी न कर दे? बोलो क्या काम है?
बुद्ध ने कहा, यह जो सामने पेड़ है, उस पर से थोड़ी पत्तियां मुङो तोड़ दो. वह बहुत हैरान हुआ, उसने कहा, इसका क्या करोगे? बुद्ध ने कहा, तुम तोड़ो तो उसे. उस हत्यारे ने तलवार मारी और एक छोटी शाखा काट कर बुद्ध के हाथों में दे दी. बुद्ध ने कहा, इतना तुमने किया, एक छोटा-सा काम और कर दो. इसे वापस जोड़ दो. हत्यारा बोला, यह तो मुश्किल है, यह नहीं हो सकता.
तो बुद्ध ने कहा, तोड़ने का काम तो बच्च भी कर सकता था. तुम तो पुरुष हो, बहादुर हो, जोड़ने का काम करो, तोड़ने में कहां गौरव है. आओ अब तुम मेरी गर्दन काट लो. इतना सुनते ही हत्यारे ने तलवार पटक दी और बुद्ध की चरणों में गिर पड़ा.
बात पते की
- तोड़ने का काम तो बच्च भी कर सकता है. आत्मविश्वासी लोग हमेशा जोड़ने का काम करते हैं.
- किसी की भी बात तुरंत न मान लें, जब तक कि आपने खुद अनुभव न किया हो. अपने साथ के लोगों के साथ हमेशा मिल कर रहें.
- सौरभ सुमन -
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