लाल बहादुर शास्त्री का प्रधानमंत्री बनना
लेकिन उनकी साफ छवि के कारण उन्हें साल 1964 में देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया. जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है. वह ऐसा करने में सफल भी रहे थे. उनका क्रियाकलाप सैद्धांतिक नहीं, बल्कि जनता के अनुकूल था.
हालांकि उनका शासन काल बेहद कठिन रहा. पुंजीपति देश पर हावी होना चाहते थे और दुश्मन देश हम पर आक्रमण करने की फिराक में थे.
1965 में अचानक पाकिस्तान ने भारत पर सायं 7.30 बजे हवाई हमला कर दिया. परंपरानुसार राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुला ली जिसमें तीनों रक्षा अंगों के चीफ व मंत्रिमंडल सदस्य शामिल थे. लालबहादुर शास्त्री कुछ देर से पहुंचे. विचार-विमर्श हुआ. तीनों अंगों के प्रमुखों ने पूछा सर क्या हुक्म है? शास्त्री ने तुरंत कहा: “आप देश की रक्षा कीजिए और मुझे बताइए कि हमें क्या करना है?”
शास्त्रीजी ने इस युद्ध में पं. नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और जय जवान-जय किसान का नारा दिया. इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सब एकजुट हो गए. इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी नहीं की थी.
साल 1966 में ही उन्हें भारत का पहला मरणोपरांत भारत रत्न का पुरस्कार भी मिला था जो इस बात को साबित करता है कि शास्त्री जी की सेवा अमूल्य है.