Re: कुतुबनुमा
मध्य प्रदेश में रसूख वालों का बढ़ता दबदबा
मध्य प्रदेश में नियमो को ताक पर रख कर सरकारी काम किस तरह से किए जा रहे हैं, इसका एक नमूना हाल ही में सामने आया है। जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार तमाम नियमों को दरकिनार कर महज एक चिट्ठी पर सरकार के एक विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के असेसमेंट का कार्य एक एनजीओ को दे दिया गया। वह भी तब जबकि राज्य योजना आयोग इस एनजीओ को असेसमेंट काम के लिए अयोग्य करार दे चुका था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि महिला चेतना मंच नामक जिस एनजीओ को यह काम दिया गया है वह राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का है। मंच ने 11 मार्च 2010 को ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आर.परशुराम को एक चिठ्ठी लिखकर मनरेगा में इम्पैक्ट असेसमेंट स्टडी करने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद वित्तीय नियमों की अनदेखी करके 10 दिसंबर 2010 को राज्य रोजगार गारंटी परिषद की कार्यकारिणी ने असेसमेंट का काम महिला चेतना मंच को दे दिया। इसके लिए करीब 25 लाख रूपए देना तय हुआ। यह काम देने में न कोई विज्ञापन हुआ और न कोई टेंडर किए गए। यह भी नहीं देखा गया कि महिला चेतना मंच असेसमेंट की क्षमता रखता है या नहीं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास की विजिलेंस एंड मानीटरिंग कमेटी के सदस्य तथा संस्था प्रयत्न के अजय दुबे ने इस मामले में 29 जून 2011 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर शिकायत भी की थी। इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ तो गत वर्ष फरवरी में लोकायुक्त को भी इसकी शिकायत की गई। इस पर राज्य रोजगार गारंटी परिषद ने मामले में लीपापोती कर दी। मुख्य सचिव ने मामले में जांच कराने के लिखा तो परिषद ने अब सब कुछ नियमानुसार होने की रिपोर्ट बनाकर मुख्य सचिव को भेज दी। याने कहा जा सकता है कि राज्य में रसूख वाले लोगों का दबदबा बढ़ता जा रहा है और राज्य सरकार मौन है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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