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वह एक लैब असिस्टैंट थे। लेकिन उनका मन थिएटर में रमा था। उन्हें प्रतिमाह १२५ रुपए तनख्वाह मिलती थी, जबकि थिएटर में उन्हें कुछ नहीं मिलता था। वह कॉलेज के नाटकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। एक दिन पंजाब कला मंच पर उनके कॉलेज के नाटक का मंचन हुआ, जिसे देखने वालों में पंजाब थिएटर की जानी-मानी हस्ती हरपाल तिवाना भी थे। तिवाना ने उन्हें अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया, जिस पर उन्होंने कहा यदि उन्हें १२५ रुपए से ज्यादा दिए जाएं, तो ही वह उनके साथ काम करेंगे। तिवाना डेढ़ सौ रुपए देने पर राजी हो गए। उन दिनों वह थिएटर में सेलरी पाने वाले इकलौते शख्स थे। यह शख्स और कोई नहीं ओम पुरी थे। थिएटर से सिनेमा तक एक लंबा सफर तय करने के बाद ओम पुरी इन दिनों वापस थिएटर में लौट आए हैं।
'भाग मिल्खा भाग' के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपने कॅरियर की शुरुआत 'यूरेका फोब्र्स' के साथ बतौर सेल्समैन की थी। एक साक्षात्कार में इस फिल्मकार ने बताया कि उन्होंने एक फिल्म सेट पर टी-ब्वॉय के रूप में भी काम किया है। आज की दिग्गज महिला नेता और अतीत में भारतीय टेलीविजन की सबसे लोकप्रिय बहू हमेशा इतनी लोकप्रिय नहीं थी। १८ साल की उम्र में स्मृति अभिनेत्री बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आईं। उनका यहां कोई गॉडफादर नहीं था। उन्होंने यहां कुछ दिन मैक्डोनल्ड फास्ट फूड शृंखला के रेस्तरां में बर्गर इत्यादि सर्व करने और फर्श बुहारने का काम भी किया। आखिरकार किस्मत ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और आज वह इस मुकाम पर हैं।
उनकी असली प्रतिभा एक अप्रत्याशित माहौल में सामने आई, जब वह एक बस कंडक्टर के रूप में काम कर रहे थे। निष्णात अभिनेता बलराज साहनी ने ऐसी ही एक बस में सफर करते हुए वर्ष १९५० में उन्हें मुसाफिरों का मनोरंजन करते हुए देखा। जिसके बाद उन्होंने उन्हें मुंबई आने की सलाह दी। उन्होंने पहले स्क्रीन टेस्ट में एक पियक्कड़ शराबी का जबरदस्त अभिनय किया, जिसके बाद उनका नाम 'जॉनी वाकर' पड़ गया। कुछ ही लोग जानते होंगे कि वह कट्टर मुसलमान थे और मद्यपान से कोसों दूर थे। वह अपने समुदाय में एक नियमित कुली थे। बाद में वह बैंगलोर परिवहन सेवा के साथ बतौर बस कंडक्टर जुड़ गए। उनके दोस्त राज बहादुर ने फिल्मों की पढ़ाई करने की उनकी योजनाओं में पूरा साथ दिया, जिसके बाद रजनीकांत नामक इस लेजेंड ने सुपरस्टारडम की ओर पहला कदम बढ़ाया।
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी फिल्म में अपने अभिनय के जरिए सुर्खियां बटोरने वाले इस अभिनेता का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक छोटे-से कस्बे से है। वह पहले बड़ौदा की एक फैक्ट्री में चीफ कैमिस्ट थे। थिएटर में उनकी गहरी दिलचस्पी थी, जिसकी खातिर उन्होंने चौकीदार की नौकरी भी की। कोई आश्चर्य नहीं कि यह अभिनेता आज भी खुद को 'कॉमन मैन' मानता है। इस अभिनेता का नाम है नवाजुद्दीन सिद्दीकी।
उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत ताज महल पैलेस एंड टॉवर होटल में वेटर और रूम सर्विस स्टाफर के रूप में की थी। बाद में उन्होंने अपनी पुश्तैनी बेकरी शॉप का जिम्मा संभाला। हालांकि अंकल चिप्स के साथ फ्रेंचाइजी करार करने के बावजूद उनकी यह बेकरी नहीं चली। आज हम उन्हें बोमन ईरानी के रूप में जानते हैं, जो 'मुन्नाभाई शृंखला' में अपने दमदार अभिनय के बाद घर-घर में लोकप्रिय हो गए।
वह बैंकॉक में मेट्रो गेस्ट हाउस में शेफ थे। उनकी पहली सेलरी 1000 बहत (1500 रुपए) थी और वह रात में किचन के फर्श पर ही सोते थे। उन्होंने कोलकाता में एक ट्रैवल एजेंसी के लिए प्यून के रूप में भी काम किया। यह कोई संयोग नहीं था कि 'मास्टरशेफ इंडिया' के निर्माताओं ने इस एक्शन हीरो अक्षय कुमार को अपने शो के होस्ट के रूप में चुना।