01-12-2010, 05:37 PM
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#28
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
मीठा सा इश्क लागे, कडवी जुदाई !
यार मेरा सच्चा लागे, झूठी खुदाई !!
चांदनी ने तन पे मेरे चादर बिछाई !
ओढा जो तुने मुझको साँसे लौट आई !!
ये आलम है, इश्क इश्क ये आलम है........................!!!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
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