हाल में आई फिल्म ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ की हीरोइन मानती है कि उसे मीना कुमारी कॉम्प्लेक्स है। प्रमुख लक्षण है दु:ख और सुख के बीच चुनना हो तो दु:ख को चुनना। खुशी का मौक़ा हाथ से जाने देना। गम से चिपके, सबसे छिप के किस्मत को कोसने का मौक़ा चाहिए। देवदास को था। ममता बनर्जी को है। लोग कहने लगे हैं कम्यूनिस्टों से त्रस्त बंगाल ने इनको चुना, कहीं उन सबको तो नहीं। अगर ऐसा है तो हम सबको है क्योंकि हम अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को चुनते हैं जबकि हमारे पास मौका होता है सही को चुनने का। आइए देखें और कुछ कॉम्प्लेक्स जो आम हैं...