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Originally Posted by jitendragarg
असली में नहीं, भाई, सिर्फ गेम में। कल ही मैं गेम खेल रहा था जिसमे मैंने भारत को ये उपलब्धि दिलाई। वैसे इस बात पर चर्चा जरुरी है, कि भारत फूटबाल में इतना पिछड़ा क्यूँ है। तो चर्चा शुरू की जाये??
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हमारे देश मे फुटबाल के खिलाडी बहुत कम है क्योंकि हम सभी अपने बच्चो को क्रिकेट और सिर्फ क्रिकेट् खेलते हुये देखना चाहते है..!! हालाकि अब बैडमिंटन, बोक्सिंग, निशाने बाजी भी काफी आगे आ रहे है..!!
फुटबाल को लोकप्रिय बनाने के लिये कितनी लीग शुरु की गयी पर भारत फुट्बाल खेलने वाले देशो के टोप 100 देशो मे भी शामिल नहीं है..!! कितने ही छोटे छोटे देशो की टीम हमारे इतने बडे देश की टीम से उपर की रैंक पर बैठी हुयी है..!!
आज के युवा का फुटबाल की तरफ आकर्षित न होने का कारण इसमे पर्याप्त पैसा ना होना, गलैमर और एक सर्वमान्य हीरो का अभाव है जिसकी वजह से युवा वर्ग को ये अपनी ओर नहीं खींच पा रहा है..!!
क्रिकेट के अलावा आजकल जिन खेलो मे भी पैसे और ग्लैमर का समावेश हुआ है..और उसको एक से अधिक हीरो मिले है उन खेलो मे भारत का स्तर काफी बढा है..जैसे कि बैडमिंटन, बोक्सिंग़, कुश्ती, निशाने बाजी..!!
क्योंकि ये एक टीम स्पोर्ट है इसलिये इसके लिये अधिक पैसे और सहूलियत की जरूरत पडेगी और आज का युवा अपनी एक अलग पेहचान बनाना चाहता है..इसलिये इस खेल को कुछ और देसी स्टार खिलाडियो की जरूरत है..जैसे कि बाइचिंग भूटिया...!! पर उनके जैसे बीस पच्चीस खिलाडियो की एक पूरी खेप तैयार करके ही कुछ किया जा सकता है..एक अकेले भूटिया इस खेल के लिये वो गलैमर नहीं पैदा कर सकते..क्योंकि ग्लैमार सफलता से जुडा है और एक या दो खिलाडी वो सफलता नहीं दिला सकते..!!
लोकल स्तर पर अधिक प्रयास करके स्कूल लेविल पर टेलेंट को पेहचान के, फिर उनको एक निश्चित ट्रैनिंग और सुविधाओ से संवार कर उनको स्थानीय लेविल पर पेहचान, उचित पैसा देने से एक दिन निश्चित ही वो भारत के लिये स्टार खिलाडी बन सकेंगे..!!
जितना पैसा आज क्रिकेट मे है उसका 25 प्रतिशत भी अगर फ़ुट्बाल के खिलाडियो को मिलने लगे...तो शायद इस खेल का भविष्य भारत मे उज्ज्वल हो सकेगा..!!