[QUOTE=rajnish manga;214178]
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Originally Posted by sombirnaamdev
मेरे बिना ना होवे धरती ख़ाली
तन्ने भी कोए और पाज्यागा !
तन्ने ले डुबैगा मान हुसन का .
गरूर जवानी आला मन्नै भी खाज्यागा !
कह नामदेव जै समझ के चालें दोनु
दोनूँआँ नै एक दूजे का प्यार थ्याज्यागा !
सोमबीर जी, एक उत्कृष्ट रचना के लिए आपको बधाई. अभिव्यक्ति की ऐसी उत्कट तीव्रता बहुत कम देखने में आती है. कविता के आरम्भ से अंत तक जो उलाहने और शिकायत का भाव-संसार दिखाई देता है वह अंतिम दो पंक्तियों में आकर एक सकारात्मक मुकाम पर पहुंचता लगता है.
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DHANYAVAAD RAJNISH MANGA JI
IS NACHEEJ PAR NIGAHE KARAM BANI RHE AISI MAIN AASHA APSE HAMESHA KE LIYE KARTA HUN