देशभक्ति गीत
मुझे याद आती है -२
( अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू
मुझे याद आती है ) -२
( कभी बहलाती है
कभी टड़पाती है ) -२
मुझे याद आती है, हो
अपने देस की मिट्टी
अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू
मुझे याद आती है
बीते पल छूने लगे हैं दिल को ऐसे
दोस्त रखे हाथ कंधे पे जैसे
कैसी ये किरणें सी छन रही हैं
कैसी तस्वीरें सी बन रही हैं
कितने मौसम याद में हैं आते जाते
बारिश आई खुल गये हैं काले छाते
दिन हैं अलसाये हुये जो आई गर्मी
सर्दियों की धूप में है कैसी नर्मी
पल पल इक समय की नदिया है जो बहती जाती है
अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू
मुझे याद आती है
पिघले तन्हाइयों के हैं जो अंधेरे
जगमगाने से लगे हैं कितने चेहरे
एक लोरी है, इक लाल बिंदिया
लौत आई है मेरे बचपन की निंदिया
वो कोई इकतारे पे कब से गा रहा है
कोई आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
हर घड़ी नई बात इक याद आ रही है
दिल में पगडंडी सी जैसे बन गई है
ये पगडंडी मेरे दिल से मेरे देस जाती है
( अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू
मुझे याद आती है ) -२