Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
हां, मैं आशावादी हूं। मैं आशावादी हूं क्योंकि मैंने क्रांति के निर्माणकारी घटकों को सही स्थान देना शुरू कर दिया है। इसके लिए मैं कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि ये निर्माणकारी घटक क्या हैं? प्रथम, आज देश के लोग पहले से कहीं ज्यादा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आज हमारे पास सड़कों, सूचनाओं, दूरसंचार, लोगों का एक बड़ा नेटवर्क है। आज नए विचारों के साथ मीडिया उभर रहा है, विकसित हो रहा है तथा उड़ने के लिए तैयार है। जिस नए विचार का समय आ गया है उस नए विचार को सीमित रखना अब संभव नहीं है। आधार योजना प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं को पहचानने हेतु हमें एक अभूतपूर्व माध्यम प्रदान करती है, चाहे वह भारतीय कहीं भी रह रहा है। डायरेक्ट केस ट्रांसफर योजना हमें भारतीयों के सपनों को पूरा करने का मौका देती है और डिलिवरी व्यवस्था को सशक्त करने का मौका देती है। मेरे पिताजी कहा करते थे कि लोगों के पास 1 रुपये में से केवल 15 पैसे ही पहुंचते हैं और आज हम एक ऐसी व्यवस्था तैयार करने जा रहे हैं जो इस प्रश्न का जवाब देगी। अब लोगों का 99 प्रतिशत पैसा उन तक पहुंच सकता है। यह एक ऐसी क्रांति है जो किसी भी देश में नहीं हुई है। हम उस क्रांति की तैयारी कर रहे हैं। हम क्रांति की तैयारी कर रहे हैं और हमारे विरोधी कहते हैं कि हम देश को रिश्वत दे रहे हैं। लोगों को उनका हक देने की बात को देश को रिश्वत देना बताया जा रहा है। हमारे विपक्षी ऐसी बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे डरे हुए हैं। वे जानते हैं कि आधार योजना क्या कर सकती है। वे जानते है कि केस ट्रांसफर क्या कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे विपक्षी जानते हैं कि कांग्रेस के लोग क्या कर सकते हैं और कांग्रेस की सोच क्या कर सकती है। पंचायत राज तथा महिलाओं के स्वयं सहायता समूह आन्दोलन ने लोकतंत्र को बदलने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। राष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया का संतुलन दिल्ली तथा राज्यों की राजधानियों से शिफ्ट होकर अन्तिम पंचायत और नगर पालिका के वार्ड तक जाना चाहिए। महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों तथा ट्राइबल लोगों के साथ हो रहे भेदभाव और सामाजिक पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए कांग्रेस पार्टी को अपनी लड़ाई को निरन्तर जारी रखना चाहिए।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
|