Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
हम टिकट की बात करते हैं। जमीन पर हमारा कार्यकर्ता काम करता है, यहां हमारे डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट बैठे हैं, हैं, ब्लॉक प्रेसीडेन्ट हैं, ब्लॉक कमेटी हैं, डिस्ट्रिक कमेटी हैं, उनसे पूछा नहीं जाता है। यहां डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट हैं? टिकट के समय उनसे नहीं पूछा जाता, संगठन से नहीं पूछा जाता, ऊपर से डिसीजन लिया जाता है भैया, इसको टिकट मिलना चाहिए। होता क्या है? दूसरे दल के लोग आ जाते हैं, चुनाव के पहले आ जाते हैं, चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं, और हमारा कार्यकर्ता कहता है भैया, वो ऊपर देखता है, चुनाव से पहले पैराशूट गिरता है, धड़ाक, नेता आता है, दूसरी पार्टी से आता है, चुनाव लड़ता है, फिर हवाईजहाज में उड़कर चला जाता है, ये बदलना है। सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए। सिर्फ और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्जत नहीं, नेताओं की इज्जत। नेताओं की इज्जत का मतलब क्या है कि अगर नेताओं ने अच्छा काम किया है, अगर नेता जनता के लिए काम कर रहा है, चाहे वो जूनियर हो या सीनियर नेता हो, जितना भी छोटा हो, जितना भी बड़ा हो अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। अगर वो काम नहीं कर रहा है, तो उसको कहना चाहिए भैया आप काम नहीं कर रहे हो, और दो-तीन बार कहने के बाद काम नहीं करें तो दूसरे को चांस देना चाहिए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Last edited by Dark Saint Alaick; 24-01-2013 at 01:26 PM.
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