Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
आज सुबह मैं 4 बजे उठा और बालकनी में गया। मैंने सोचा कि अब मेरे सामने एक बड़ी जिम्मेदारी है और लोग मेरे पीछे खड़े हैं, लोग मेरे साथ खड़े हैं। सुबह अन्धेरा था और सर्दी भी थी। मैंने निर्णय लिया कि मैं वह बात नहीं कहूंगा, जो आप मेरे से सुनना चाहते हैं। मैंने निर्णय लिया कि मैं वही बात कहूंगा, जो मैं महसूस करता हूं। मैं आपको आशा और सत्ता के बारे में बताना चाहता हूं।
बचपन में बैडमिंटन से बहुत प्यार था, क्योंकि इस खेल ने मुझे इस पेचीदा दुनिया में सन्तुलन सिखाया। मैंने मेरी दादी के घर उन दो पुलिसकर्मियों से बैडमिंटन खेलना सीखा जो मेरी दादी की सुरक्षा में तैनात थे। वे मेरे दोस्त भी थे। फिर एक दिन उन्होंने मेरी दादी की हत्या कर दी और मेरे जीवन में सन्तुलन को मुझसे छीन लिया।
मुझे बहुत दु:ख हुआ। ऐसा दु:ख पहले कभी नहीं हुआ। मेरे पिताजी बंगाल में थे और वह लौट आए थे। अस्पताल में बहुत अन्धेरा और गंदगी थी। जब मैंने अस्पताल में प्रवेश किया, उस वक्त बाहर बहुत बड़ी भीड़ थी। मैंने मेरे जीवन में पहली बार मेरे पिताजी को रोते हुए देखा। मेरे पिताजी बहुत बहादुर थे, किन्तु मैंने उन्हें रोते हुए देखा। मैंने देखा कि वह भी टूट चुके थे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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