Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
उन दिनों हमारा देश ऐसा नहीं था, जैसा आज है। दुनिया की नजरों में हमारे पास कुछ नहीं था। हमें फालतू माना जाता था। हमारे पास पैसा नहीं था, कारें नहीं थी। प्रत्येक व्यक्ति कहता था कि हम गरीब राष्ट्र हैं। हमारे बारे में किसी ने नहीं सोचा।
उस दिन शाम को मेरे पिताजी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को सम्बोधित किया। मैं जानता था कि वह भी मेरी तरह अन्दर से टूटे हुए थे। हमारे सामने जो चीज थी, उससे वह भी मेरी तरह भयभीत हो गए थे, किन्तु जब उस दिन काली रात को मेरे पिताजी बोलने लगे तो मैंने महसूस किया कि उनमें आशा की एक छोटी किरण थी। ऐसा लगा मानो अन्धेरे आकाश में रोशनी की एक छोटी किरण थी। मुझे उस समय की सभी बातें आज भी याद हैं। अगले दिन मैंने महसूस किया कि अनेक लोगों ने भी उस किरण को देखा था।
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मेरे पास 8 वर्ष का राजनीतिक जीवन है और आज मेरी आयु 42 वर्ष है। मैं यह देख सकता हूं कि उस दिन की आशा की उस छोटी किरण ने भारत को भी बदलने में मदद की है। आज एक नया भारत है। आशा के बिना आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। आपके पास विचार हैं, किन्तु यदि आशा नहीं है तो आप बदलाव नहीं ला सकते, आप भारत जैसे विशाल देश में बदलाव नहीं ला सकते।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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