Re: चचा साम के नाम मंटो के खत
यह सब ठीक है चचाजान, मगर मैं आपके इस सवाल का जवाब नहीं दूँगा। आप अपने सवाल का जवाब खुद अपने दिल से पूछ सकते हैं, अगर आपने अपने काबिल सर्जनों से कहकर उसे अपने पहलू से निकलवा न दिया हो।
मेरे मुल्क की वह आबादी, जौ पैकार्डों और ब्यूकों पर सवार होती है, मेरा मुल्क नहीं - मेरा मुल्क वह है, जिसमें मुझ ऐसे और मुझसे बदतर गरीब बसते हैं।
यह बड़ी कड़वी बातें हैं हमारे यहाँ शक्कर कम है, वर्ना मैं इन पर चढ़ाकर आपकी सेवा में पेश करता - इसको भी छोड़िए।
बात दरअसल यह है कि मैंने हाल ही में आपके मुल्क के एक साहित्यकार ऐवलिन वॉग (Evelyn Waugh) की एक रचना (The Loved Once) पढ़ी है। मैं इससे इतना प्रभावित हुआ कि आपको यह खत लिखने बैठ गया - आपके मुल्क की अनुपमता का मैं यूँ भी प्रशंसक था, मगर यह किताब पढ़कर तो मेरे मुँह से तुरंत निकला :
जो बात की, खुदा की कसम, लाजवाब की
वाहवा, वाहवा, वाहवा, वाहवा
चचाजान वल्लाह मजा आ गया। कैसे दिलवाले लोग आपके देश में बसते हैं!
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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