Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
नीरज जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं:
मैं वही हूँ जिसे वरदान फरिश्तों का समझ
तुमने औढ़ा था किसी रेशमी आँचल की तरह
और हंस हंस के प्यार को जिसके तुमने
अपनी आँखों में रचा था कभी काजल की तरह.
याद शायद हो तुम्हें गोद में मेरी छुप कर
तुम ज़मीं क्या, फ़लक तक से नहीं डरती थीं
और माथे पे सजा कर मेरे होंठों के कँवल
खुद को तुम मिस्र की शहजादी कहा करती थी.
|
क्या मनमोहनी दृश्य उकेरा है आपने 'उनका' ... हार्दिक अभिनन्दन है बन्धु रजनीश जी।
|