Re: आज़ादी के ज़ब्तशुदा गीत
आगे बढ़ेंगे
(शायर: अली सरदार जाफ़री)
वो बिजली सी चमकी, वो टूटा सितारा,
वो शोला-सा लपका, वो तदपा शरारा,
जुनूने-बग़ावत ने दिल को उभारा,
बढ़ेंगे अभी और आगे बढ़ेंगे.
कुदालों के फल, दोस्तो, तेज कर लो,
मुहब्बत के साग़र को लबरेज़ कर लो
ज़रा और हिम्मत को मह्मेज़ कर लो,
बढ़ेंगे अभी और आगे बढ़ेंगे.
विज़ारत की मंजिल हमारी नहीं है,
यह आंधी है, बादे-बहारी नहीं है,
जिरह हमने तन से उतारी नहीं है,
बढ़ेंगे अभी और आगे बढ़ेंगे.
उफ़ुक़ के किनारे हुए हैं गुलाबी,
सहर की निगाहों में है बर्कताबी,
क़दम चूमने आई है कामयाबी,
बढ़ेंगे अभी और आगे बढ़ेंगे.
महकते हुए मुर्ग़जारों से आगे,
लचकते हुए आबशारों से आगे,
बिहिश्ते-बरीं की बहारों से आगे,
बढ़ेंगे अभी और आगे बढ़ेंगे.
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