Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत
ख़्वाबों का इक जहां मुझे दे गया कोई
मिट्टी का इक मकां मुझे दे गया कोई
वो दिल में रह गया है कि दिल से उतर गया
कितना अजाब गुमां, मुझे दे गया कोई
सेहरा पे अपने घर का पता लिख गया था वो
मिटता हुआ निशां, मुझे दे गया कोई
माह-ओ-नजूम नोच के, सूरज बुझा दिया
फिर सारा आसमां, मुझे दे गया कोई
किश्ती में छेद उसने किया और उसके बाद
कागज़ का बादबां, मुझे दे गया कोई
उसने गुलाब हाथ में ले कर कहा बतूल
खुशबू का तर्जुमाँ, मुझे दे गया कोई
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