Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत
आसमानों ने हम को क्या न दिया
दिल मगर हम को बे-वफ़ा न दिया
हम ज़माने को दोष देते रहे
ज़ख्म तुम ने भी कुछ नया न दिया
कू-ब-कू नाचती फिरी खुशबू
फिर भी फूलों ने कुछ गिला ना दिया
ख्वाब में एक दिन मिलेंगे अगर
तुमने यादों को जो मिटा ना दिया
सारी दौलत जहां को दी है मगर
दिल में रखा हुआ खुदा ना दिया
हम ने घर को जला ही लेना था
तुमने अच्छा किया, दिया ना दिया
ज़िन्दगी से यही शिकायत है
हम को जीने का रास्ता ना दिया
सारे मंज़र थे आस पास मगर
तुम ने क्यों ख्वाब से जबा ना दिया
बस इशारों में बात की है 'बतूल'
कोई इलज़ाम बरमला ना दिया
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