Re: इश्क़ में रीढ़ जो हटा देते
इश्क़ की राह में ख़ुशियाँ कम हैं ; ग़म मग़र बे हिसाब होते हैं .
इश्क़ दम तोड़ता है राहों में ; ये ही लब्बो लुआब होते हैं .
(तेरे गम से आबाद रहा कुछ भूल गए कुछ याद रहा )
बहोत ही अच्छे ढंग से सलीके से कही गयी आपके काव्य की एक अनूठी झलक झलक धन्यवाद डॉ साहब
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