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Old 03-02-2013, 07:16 PM   #2
jai_bhardwaj
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Default Re: समय और सितारे

इस तरह यह कहा जा सकता है कि कोई चीज़ एक ही समय में हमारे पास भी हो सकती है और हमसे दूर भी। जैसा कि हम जानते हैं पृथ्वी गोल है। इसपर मान लिया दो शहर हैं जो एक ही देश के अन्दर हैं। अगर इन दो शहरों के बीच देश के अन्दर बनाये गये रास्तों में यात्रा करें तो यह दूरी कम होगी, और अगर एक शहर से उल्टी दिशा में चलकर पूरी पृथ्वी की गोलाई तय करते हुए दूसरे शहर में पहुचें तो यह दूरी बहुत ज्यादा होगी। और इस तरह एक ही समय में दोनों शहरों के बीच दूरी बहुत कम भी कही जा सकती है और बहुत ज्यादा भी। और साथ ही ‘कम’ वाली दूरी जितनी कम से कम होगी (यानि दोनों शहर जितने करीबतर होंगे) उतनी ही ‘ज्यादा’ वाली दूरी ज्यादा से ज्यादा होगी (यानि दोनों शहर उतने ही दूरस्थ होंगे)। ऐसा संभव है पृथ्वी के गोल होने की वजह से। तो इस तरह दूरी उस सतह पर भी निर्भर करती है जिसपर वह दूरी तय होती है।
अब बात करते हैं गणित की एक शाखा की जिसका नाम है कैलकुलस ऑफ वैरिएशंस (Calculus of Variations)। इसकी शुरुआत 18 वीं सदी के मशहूर गणितज्ञ लिओन्हार्ड यूलर और लाग्रांज ने की थी। इस गणित के द्वारा हम कुछ चीज़ों की ऊंचाई या गहराई की सीमा (Maxima or Minima) मालूम करते हैं। इन चीज़ों में ’शामिल हैं दूरी, समय या फिर ऊर्जा इत्यादि। इस गणित के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
माना किसी ऊंची जगह से किसी निचली जगह को जोड़ने के लिये एक रास्ता बनाना है, और उस रास्ते पर कोई गेंद लुढ़काई जानी है। तो गेंद को नीचे पहुंचने में कम से कम समय लगे, इसके लिये रास्ते का आकार विशेष रूप का बनाना होगा। और इस आकार का नाम है सायक्लॉयड। इसे कैलकुलस ऑफ वैरियेशन्स से मालूम किया गया है।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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