Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
कुछ मज़ाहिया अशआर ...
अय मेरी बेगम ना तू मेरी खुदी कमजोर कर
ये शरीफों का मोहल्ला है ना इतना शोर कर
शब के पुरतस्कीन लम्हों में ना मुझको बोर कर
इस सआदतमंद शौहर को ना यूं इग्नोर कर
दीदा ओ दिल तेरी चाहत के लिए बेताब है
मुझ सा शौहर आजकल बाज़ार में नायाब है
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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