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दिल्ली दुष्कर्म मामले के सबसे बर्बर आरोपी को नाबालिग करार दिए जाने के बाद देश में उबरे गुस्*से को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जुवेनाइल की परिभाषा को फिर से तय करने के लिए जस्टिस एक्*ट की समीक्षा करने का मन बना लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उस याचिका के बाद उठाया है जिसमें मांग की गई है कि जस्टिस एक्*ट के तहत नाबालिग की उम्र को एक बार फिर से परिभाषित किया जाए। इस एक्*ट के रिव्*यू में एटॉनी जनरल की भूमिका बहुत महत्*वपूर्ण होगी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही दामिनी के साथ सबसे अधिक हिंसा करने वाले नाबालिग आरोपी के स्*कूल सर्टिफिकेट के आधार पर उसे 18 साल से कम का पाया है। स्कूल सर्टिफिकेट में आरोपी की जन्म तिथि 4 जून 1995 दर्ज है। इस तरह अपराध के वक्त (16 दिसंबर 2012) उसकी उम्र 17 साल 6 माह 12 दिन थी। 15 जनवरी को सुनवाई के दौरान आरोपी ने जिस स्कूल से पढ़ाई की थी उसके हेडमास्टर बोर्ड के सामने पेश हुए थे। हेडमास्टर ने स्कूल रजिस्टर की फोटो कॉपी पेश की थी।
आरोपी के नाबालिग घोषित होने के बाद से लोगों में काफी आक्रोश है। दिल्*ली की मुख्*यमंत्री शीला दीक्षित से लेकर भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि अपराध की सजा उम्र के आधार पर नहीं बल्कि क्राइम के आधार पर होनी चाहिए।
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